श्री कृष्ण जन्माष्टमी के पावन अवसर पर बीते सैकड़ों वर्षों से बदरपुर में विशाल कुश्ती दंगल का आयोजन होता हैं। कभी मुट्ठी भर अनाज में लड़े पहलवानो को अब खूब रुपया पैसा और मान सम्मान मिलता हैं। पास में ही मदनपुर गाँव हैं जहाँ गुरु होते लाल भाटी का अखाडा हैं। उनके एक शिष्य नीरू पहलवान से दिव्या सैन की कुश्ती तय हुई। कुश्ती के शुरुआत में ही नीरू पहलवान ने पट खींच कर चित्त करने की कोशिश की , लेकिन दोनों पहलवान अखाड़े से बाहर आ गए। फिर नीरू पहलवान ने अटैक लगाया और झोली दांव में दिव्या को बांधकर चित्त करने की भरपूर कोशिश की। लेकिन यह क्या , दिव्या ने बिजली की तेजी से अपना बचाव ही नहीं किया , नीचे से ही ब्रिज बनाया और उलटे नीरू पहलवान को ही चित्त कर दिया। कुश्ती भारत का एक प्राचीन खेल हैं और भारत ही में नहीं पूरे विश्व भर में महिलाये पुरुषों के साथ प्रैक्टिस करती हैं। टेनिस जैसे महंगे खेलों में तो महिला और पुरुष के युगल होते हैं जो टेनिस खेलते हैं। ठीक इसी प्रकार महिला और पुरुष के बीच हुई इस कुश्ती ने दंगल का दिन यादगार बना दिया। दंगल में आये सभी दर्शकों , गुरु , खलीफाओं और मौजिस आदमियों ने दिव्या को शाबाशी दी और ढेर सारे इनाम दिए।
The tradition of local wrestling competition at Vilalge Badarpur is ages old. in olden times wrestler were rewarded with small prizes like a sack of grains as compared to a lot of cash prize now. The event is organised commemorating the birth of Lord Krishna. There is a wresting school of Guru Hote Lal Bhati nearby. His disciple Neeru pahlwan was matched against Diivya sain. From the very beginning Neeru started attacking on legs and than he used an indian technique call Jholi , or far side cradle. while Divya sain countered and pinned him in the melee. The watching public, guru and coaches hailed and offered lot of cash prize to Divya sain. Truly it was match to remember for time to come.
No comments:
Post a Comment